कुरान शरीफ और हदीसो की रोशनी से यह पता चलता है की कब्र या मजार पर सजदा करना हराम है मगर कुछ लोग इसे नहीं मानते वह कहते हैं वालियों के सामने सजदा किया जाता है मुस्लिम मान्यताओं के हिसाब से सजदा एक अहम भूमिका निभाता है जो की कुरान शरीफ में आया है की अल्लाह के सिवा किसी के सामने सजदा नहीं करना चाहे तुम्हारी जान ही क्यों न चली जाए क्या मझरों पर चादर चढ़ाना जायज हैं ?
कुछ कम पढ़े मौलवी बताते हैं कि वह फलां फिरका है उन्हें क्या समझता है और वह इस इस हदीस को पेश करते हैं "हज़रत इब्ने अब्बास रजि० से रिवायत है के रसूलल्लाह ﷺ की क़ब्र मुबारक पर सुर्ख रंग की चादर डाली गयी थी" यह हदीस सुनन निसाई हदीस 2011, अल तिर्मिज़ी 1048 Al-Sunan al-Sughra इसमें असलियत यह है चादर उनकी क़ब्र के अंदर रखी गयी थी मगर कुछ कम पढ़ो ने इसे क़ब्र के ऊपर कर दिया और क़ब्रों पर चादर चढाने की दलील बना दी.
यह सब हदीस और कुरान की रोशनी से बयां होता है अगर आपको अभी भी लगता है की कबरों पर मजारों पर सजदा करना या उनकी जियारत करना या मन्नते मांगना या चादर चढ़ाना इन सब के लिए अल्लाह पाक ने कुरान शरीफ में बताया है शिर्क एक ऐसा गुनाह है जो कभी माफ नहीं होगा शीर्क होता है जो अल्लाह के सिवा किसी को माने या किसीसे मांगे उसे शीर्क कहते हैं।
उम्मीद है आप सभी को समझ आ गया होगा अपने दोस्तों को अपने रिश्तेदारों को समझाएं और इस गुनाह से खुद को और दूसरों को करने से रोके और कोई ज्यादा अपनी दलीलें बताएं तो उसे कुरान शरीफ का ट्रांसलेट या फिर हदीस पढ़ने के लिए कहें
सारी उम्मते नब्वी को हिदायत दें और सुन्नतों पर अमल करने की तौफीक दे जो हमें नहीं पता हमारे दादा पर दादा उस गुनाह को करते आ रहे हैं उन सब से अल्लाह पाक हमें बचाए रख आमीन।
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